महाशिवरात्री पूजा में अवश्य शामिल करना चाहिए ये वस्तु जो शिव जी को है प्रिय | grahvaidya

शिवरात्रि  :  शिव + रात्री  , शिव का अर्थ है कल्याण व  शिवरात्री  का आर्थ है शिव जी को याद करके रात गुजारना इसलिए हर माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को शिव रात्री व फाल्गुन कृष्णपक्ष चतुर्दशी की  महाशिवरात्रि    मनाई जाती है

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शिवरात्री का वर्णन :

महाशिवरात्री कब आती है  -   फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को

एक वर्ष  में  शिवरात्रि की संख्या  -   १२   जिसमे ११ शिवरात्रि  + १  महाशिवरात्रि    (  हिन्दू महीने की कृष्ण चतुर्दशी  )

मानाने का उद्देश्य - 

१ - भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती की पूजा का पावन दिन जिसमें उनके विवाह का उत्सव मनाया जाता है।
२ - पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवन शिव जी का जन्मदिवस  और  सृष्टि का आरंभ  अग्निलिंग ( जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है ) के उदय से हुआ, शिव से भगवान विष्णु व उनकी नाभि से  ब्रह्मदेव उत्पन्न हुए
३ -  सृष्टि  को बचाने  के लिए समुंद्र-मंथन से निकला हलाहल विष का सेवन

महाशिवरात्री पूजा में अवश्य शामिल करना चाहिए ये वस्तु

१  शुद्ध जल से स्नान
२  पंचाम्रत - दूध, दही, घी, शहद व मिश्री
३  बेर  और बिल पत्र
४. भांग
५. फल व प्रशाद
6  अस्टगंध / चन्दन   / केसर
७  अनाज  जेसे  चावल
८  घी का दीपक , धुप बत्ती, कपूर
९  धतुरा / धतूरे का फुल , फूलो की माला, फुल
10 इत्र

शिवजी का अभिषेक 


जल से अभिषेक  -  शुद ताजे जल से शिव जी को नहलाये हो सके तो जल में थोडा सा गंगाजल डाले

दीपक / धूपबत्ती को प्रव्ज्लित करे

पंचाम्रत से स्नान  - 

दूध  - जल से स्नान करने के पश्चात शिवजी को दूध से स्नान कराये, फिर  जल से स्नान कराये
दही  - दही से शिवजी  को स्नान कराये , पुन: जल से स्नान कराये
घी  - घी से मालिश करे व पुन: जल से स्नान कराये
मिश्री / शकर  -  शक्कर से स्नान कराये
शहद - शहद से पुनः मालिश करे और अंत में जल से पुन: स्नान कराये

चन्दन / अस्टगंध ‌‍और इत्र  -  तीन ऊँगली (  तर्जनी ,  मध्यमा, अनामिका ) से चन्दन का तिलक शिवजी को लगाये इस तरह से ( चित्र ) , और इत्र अर्पण करे

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बिल पत्र , धतुरा , धतुरा फुल   - १०८ पूर्ण पत्ती के बेल पत्र " ॐ नमः: शिवाय " का जाप करते हुए चड़ाए , धतुरा या धतुरे का फुल चड़ाए

बेर, भांग, फल अनाज आदि भगवान को चड़ाए व उन्हें हाथ जोड़कर ग्रहण करने की प्रार्थना करे

भगवान की आरती - घी के दीपक व कपूर से आरती करे , भगवान को प्रसाद चड़ाए

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